कहते हैं कि भागीरथ ने गंगा मां को धरती पर लेकर आए है। वो तब से ही बहुत ही पूजनीय रही हैं। आज भी मनुष्य अपने लगभग हर पूजा में उनको शामिल करता हैं, उनके बिना पूजा अधूरी मानी जाती हैं। माना जाता हैं कि मां गंगा जीवन और मृत्यु दोनों से जुड़ी हुई हैं। गंगा मां के बिना अनेक संस्कार अधूरे हैं। कोई भी धार्मिक अनुष्ठान गंगाजल के बिना पूरा नहीं होता। गंगा स्नान से सारे पाप धुल जाते हैं। मान्यता है कि गंगा मां का नाम उच्चारण करने मात्र से पापों का नाश हो जाता है। गंगा दर्शन और गंगा स्नान एवं गंगाजल का पान करने से सात पीढ़ियां तक पवित्र हो जाती हैं। उपयोगी है मां गंगा उपयोगी है मां गंगा
मां गंगा के बारे में यह भी माना जाता हैं कि उनका जन्म भगवान विष्णु के पैरों से हुआ। वो भगवान शिव की जटाओं में रहती हैं। इसलिए भगवान शिव का एक नाम गंगाधर भी हैं। मां गंगा को स्वयं भगवान विष्णु ने धरती पर भेजा लेकिन वह जिस वेग से धरती पर अवतरित हुईं, उससे उनके मार्ग में आने वाली हर वस्तु के जलप्लावित होने का खतरा था। इसीलिए भगवान शिव ने उन्हें अपनी जटाओं में धारण कर उनके वेग को नियंत्रित कर दिया। मान्यता है कि गंगा के तट पर सभी काल शुभ हैं। गंगा तट पर दान पुण्य का विशेष महत्व है। पुराणों में गंगा मां को पुण्य सलिला, पापनाशिनी, मोक्ष प्रदायिनी कहा गया है।
हिन्दू धर्म में हर प्रकार की पूजा में या संसकरों में गंगाजल को अति आवश्यक माना गया हैं। पंचामृत में भी गंगाजल को अमृत माना गया है। अनेक पर्व और उत्सवों का गंगा मां से सीधा संबंध है। गंगा स्नान से व्याधियों से मुक्ति प्राप्त होती है। हर सोमवार शिवलिंग पर गंगाजल अर्पित करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है।
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